मुजफ्फरनगर हिंसा: मरने वालों की संख्या में सामने आया सच

मुजफ्फरनगर: मुजफ्फरनगर की हिंसा से दिल्ली और लखनऊ की सरकार दहली है। सरकार के साथ हर किसी की निगाहें टिकी हैं। तीन दिनों से लगातार मौतों को लेकर अफसर तक एक राय नहीं हैं। डीएम, एडीजी और शासन मौतों को लेकर अलग-अलग आंकड़ा बताया जा रहा है।

मुजफ्फरनगर और शामली में अब तक दोनों जिलों का आंकड़ा अलग रहा है। बुधवार को अचानक दोनों जिलों में 38 मौतों की पुष्टि कर दी गई है। तर्क दिया गया है कि मुख्यालय पर दोनों जिलों के 50 शवों का बुधवार शाम तक पोस्टमार्टम किया गया है। इनमें से 12 शव हिंसा से अलग कर दिए गए।

कहा गया है कि प्रथम दृष्टया प्रतीत हो रहा है कि यह लोग आपराधिक वारदात का शिकार हुए हैं। अकेले मुजफ्फरनगर में मौत का आंकड़ा 47 तक पहुंच गया है।

अफसर पहले दिन से ही किसी के लापता होने से इंकार करते रहे हैं। बावजूद इसके लापता तीन लोगों में से दो सोहनबीर और अजयवीर सिंह के शव मिल गए हैं। बसेड़ा का ब्रजपाल, दाह खेड़ी का नजीर, सहारनपुर के गंगोह निवासी मुहम्मद शाहिद भी बुढ़ाना क्षेत्र से गायब हैं। एडीजी अरुण कुमार का कहना है कि 12 शवों का अभी हिंसा से सीधा जुड़ाव नहीं मिला है।

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